क्या शरीर की अवहेलना कर के आत्मा को संवारा जा सकता है?


योगासन का शाब्दिक अर्थ क्या हुआ – ब्रह्म से योग (जुड़ने) के लिए आसन की आवश्यकता होती है | जब तक शरीर योगासन के द्वारा हृष्ट पुष्ट नहीं होगा, हम अध्यात्म में उतर ही नहीं पाएंगे | बीमार शरीर वैद्य हकीम की सोचेगा या अध्यात्म की ? इस जीवन में अगर हम आत्मज्ञानी बनना चाहते हैं तो, शरीर को स्वस्थ रख अध्यात्म में आगे बढ़ सकते हैं |

 

What is Yoga and its benefits? योग का महत्व | Vijay Kumar… the Man who Realized God in 1993

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