जीवन में भविष्य का ज्ञान किसी को भी नहीं | सिर्फ भौतिक जीवन में ही नहीं आध्यात्मिक सफर में भी ऐसा होता है कि स्टूडेंट/ साधक 99.90% तक पहुंच गया और 100% पर अपने लक्ष्य को पा जाएगा लेकिन निराशा के कारण 99.9% पर ही हाथ पैर छोड़ दिए, हार मान ली | अगर किसी बुजुर्ग से सलाह कर ली होती तो भीकाम बन जाता |
सिर्फ .10% सफर बाकी रह गया था – पूरा कर लेते तो सफल हो जाते | सच्चा स्टूडेंट/ साधक वहीं है जो हर निराशा के बावजूद हिम्मत नहीं हारे | चींटी कि तरह बस चलता ही जाए – भगवान में संपूर्ण आस्था रख कर | यही समय है जब हमारा अपने ऊपर विश्वास काम आता है | हम ही नहीं कोई भी आगे का देख नहीं पाता तो हिम्मत क्यों हारनी है ?
अगर महावीर/ बुद्ध ऐसी समस्याओं से घबरा जाते तो क्या 12 वर्ष की ध्यान व ब्रह्मचर्य की अखंड तपस्या पूरी कर पाते ?
12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani