क्या हमें भारत के वेद पुराण भाष्य आयुर्वेदिक ग्रंथों पर विश्वास करना चाहिए ?


विश्वास !!! पूरी धरती पर सम्पूर्ण मानवता अगर जी पा रही है तो सिर्फ भारतीय दर्शन शास्त्रों के कारण – जैसे चारो वेद, ११ principal उपनिषद और भगवद गीता | अन्यथा अज्ञानियों और अधर्मियों ने दुनियां खत्म ही कर दी थी |

 

कलियुग के बावजूद अगर इंसानियत जिंदा है तो सिर्फ और सिर्फ भगवद गीता और उपनिषदों में निहित ज्ञान के कारण | यहां मैंने वेदों का ज़िक्र इसलिए नहीं किया कि आज के समय में कोई भी इंसान/साधक अगर जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष पाना चाहता है तो सिर्फ गीता और ११ उपनिषदों में समाया ज्ञान ही काफी है |

 

आयुर्वेद तो शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने से संबंधित ज्ञान है जिसका अध्यात्म से कोई सीधा नाता नहीं | आने वाले समय में सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेद का ज्ञान फैलेगा | क्यों ? वह इसलिए कि अध्यात्म से जुड़े लोग बीमार ही कहां पड़ेंगे | २०३४ से शुरू होने वाले सतयुग में खुशहाली के अलावा और कुछ नहीं होगा | पूरी धरती मां – एक घर |

 

अगर धरती पर महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण जैसे तत्वज्ञानी नहीं आए होते तो आज भी हम jurrassic park जैसे वातावरण में रह रहे होते, डर डर कर | स्वछंद वातावरण का जो अहसास इन महापुरुषों ने दिया उसकी कोई काट नहीं | आने वाले समय में २०३४ तक जब भारत, अखंड भारत बन जाएगा, हज़ार साल तक सतयुग कायम रहेगा |

 

कल्कि अवतार के आने का इंतजार तो कीजिए ! इंतेज़ार का फल मीठा होता है लेकिन इस बार इतना मीठा होगा कहीं diabetes न हो जाए | 😃😃

 

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