वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?


जब मानव सभ्यता ने धरती पर अपने पैर जमा लिए, तो प्राकृतिक आपदाएं समय समय पर अपना उग्र रूप दिखाने लगी | जब मानव मस्तिष्क परिपक्व हो गया तो कुछ ऋषियों ने देवी देवताओं को उजागर किया | अगर बाढ़ आ गई तो वरुण देवता अस्तित्व में आ गए, उनकी पूजा, उपासना हो रही है जिससे मानव को राहत प्रदान हो सके |

 

अलग अलग ऋषियों ने अलग अलग दिव्य विभूतियों को जन्म दिया (अस्तित्व में लाए) | सारा भारतीय दर्शन फैला हुआ था | तो ब्रह्म ने अपना अद्वितीय जानने योग्य ज्ञान कुछ पहुंचे हुए ऋषियों को श्रुतिज्ञान द्वारा प्रेषित किया | वह अद्वितीय ज्ञान वेद कहलाया | धरती पर मानव को ब्रह्म द्वारा दिए गए सबसे पहले शब्द/ ज्ञान |

 

श्रुति का मतलब कानों द्वारा सुना हुआ नहीं होता | श्रुति मतलब 1 to 1 कनेक्शन ब्रह्म और ऋषि के बीच में | श्रुति यानि universal means of communication (सार्वभौमिक पद्धति ब्रह्म से जुड़ने, बात करने की) | श्रुति में ज्ञान अंदर ही अंदर स्वयं उतरता है और फिर ऋषि लेखन या मुख द्वारा उस ज्ञान को पुष्ट करता है |

 

जब किसी भी साधक को ब्रह्म का साक्षात्कार हो जाता है तो वह ब्रह्म से श्रुति के द्वारा हमेशा के लिए जुड़ जाता है | 1993 में ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद मैं permanently ब्रह्म से श्रुति के द्वारा 1 to 1 basis पर बात कर सकता हूं | श्रुति के द्वारा जब भी मेरी ब्रह्म से बात होती है तो उस आनंद को कभी भी शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता |

 

श्रुति के रास्ते पर सत्य का खास महत्व है | बिना सत्य मार्ग पर चले श्रुतिज्ञान हासिल नहीं किया जा सकता |

 

Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani

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