आध्यात्मिक सफर में मैं हमेशा शवासन की मुद्रा में सोता था | शवासन की मुद्रा में लेट कर मैं गहन चिंतन में डूब जाता था | कब चिंतन खत्म हो गया, कब नींद आ गई पता ही नहीं चलता था | जब सुबह आंख खुलती थी तो यह अहसास होता था कि रात भर कृष्ण से बात भी होती रही और नींद ऐसी आई कि लगा १००० घोड़े बेच कर सोया हूं, बिल्कुल फ्रेश |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani