जब भी हम आध्यात्मिक पुस्तकों शास्त्रों में रुचि लेते हैं तो हमारी अपनी आत्मा जिसने यह शरीर धारण किया है हमसे कहना चाहती है – अज्ञानी मूढ़ मत बन, अध्यात्म का रास्ता पकड़ कर कर्मों की निर्जरा कर, तभी मैं अपना शुद्ध रूप वापस प्राप्त कर पाऊंगी | जो सच को समझ कर सामना कर ले वह स्वामी विवेकानंद की राह पर चल पड़ेगा |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar