यही तो जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य है जब लोग मुझसे पूछते हैं कि भगवद गीता कब पढ़ी | आपको कैसे मालूम ?
37 वर्ष की आयु में ब्रह्म का साक्षात्कार हुआ | तब तक मैंने gitapress की गीता जिसमें 700 मूल श्लोक के साथ टीका भी है नहीं देखी थी | हां घर में काफी gitapress की टीकाएं रखी हुई थी जो किसी बुजुर्ग के मांगने पर मैंने दे दी थी | कोई भी टीका Rs. 2/= से ज्यादा की नहीं थी – आज तो Rs. 40/= से 300/= तक की हैं |
ब्रह्म का साक्षात्कार होते ही ऐसा लगा जैसे 700 श्लोकों का सार मुझ में समा गया | उसके बाद भी मैंने भगवद गीता पढ़ कर नहीं देखी लेकिन आज मैं भगवद गीता/ उपनिषदों पर 365 दिन का extempore lecture दे सकता हूं |
5 वर्ष की आयु से मैं हृदय से आती सारथी कृष्ण की वाणी बेहद clear सुन सकता था | पढ़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी, कृष्ण ने खुद ही सब बता दिया |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar