जो दृष्टिगोचर है जो प्रकृति, सृष्टि की देन है वह जगत है | ब्रह्म ने खुद को big bang के द्वारा फोड़ा तो वर्तमान ब्रह्माण्ड, जगत अस्तित्व में आया | ब्रह्म है तो आत्माएं हैं, हम हैं |
मगर आदि शंकराचार्य के अद्वैत की दृष्टि से देखें तो पूरा जगत माया का खेल है | हम बॉम्बे फिल्म नगरी को माया नगरी भी कहते है | पर्दे पर चलते चलचित्र को क्या कहेंगे, एक सपना ! इसी तरह आदि शंकराचार्य कहते है इस दिखने वाले जगत का कोई अस्तित्व नहीं, इसलिए इसे माया जगत कहा है | क्यों !
आदि शंकराचार्य अनुसार पूरा जगत सिर्फ ब्रह्म के खयालों में बसता है, हकीकत में नहीं | उनका कहना है जगत को उसके मूलभूत स्वरूप में देखें एक physicist के नजरिए से तो पूरा ब्रह्माण्ड सिर्फ और सिर्फ atoms और molecules के गुच्छों से भरा है | हम तुम भी सिर्फ atoms और molecules के गुच्छे हैं | बात तो सही है !
आदि शंकराचार्य कहते है पूरा जगत एक चलचित्र की भांति स्थूल नजरों से स्थूल दिखाई देता है लेकिन ब्रह्म की नजर में सिर्फ गैस का बुलबुला | अब जगत अस्तित्व में आ ही गया तो उसे आगे बढ़ने के लिए ब्रह्म ने धर्म और कर्म के principles भी दिए जिससे पूरे जगत के कार्यकलापों का हिसाब किताब रखा जा सके | तो कर्म theory existence में आ गई |
Karm theory पूरे ब्रह्मांड की balance sheet की तरह काम करती है | जैसा करोगे वैसा भरोगे | सब recorded है |
Who created God? भगवान को किसने बनाया | Vijay Kumar Atma Jnani