तत्व से मतलब है अंदर छिपा मर्म, सत्य | सत्य हमेशा एक ही होगा | विषय कोई भी हो, परिस्थिति कैसी भी – सच सिर्फ एक होगा | अध्यात्म में तत्व से मतलब है अंदर छिपे आत्म तत्व तक पहुंचना |
जब प्रलय होती है तो पूरे ब्रह्माण्ड में क्या बचता है – सिर्फ ब्रह्म | और ये ब्रह्म क्या हैं जिन्हें हम परमात्मा भी कहते हैं ? ब्रह्माण्ड में जितनी भी आत्माएं हैं – प्रलय के समय जब वे अपने शुद्ध रूप में आ जाती हैं तो आधे अंगूठे (अस्थ अंगुष्ठ) का आकार लेती हैं | बस इन्हीं सभी शुद्ध आत्माओं के गुच्छे को हम परमात्मा, ब्रह्म कहते हैं |
तो तत्व ब्रह्माण्ड में एक ही है – परमात्मा या फिर उसी का अंश आत्मा | अध्यात्म के रास्ते पर चलकर जो साधक इस तत्व तक पहुंच जाता है यानी स्वयं एक शुद्ध आत्मा बन जाता है – उसे तत्वज्ञानी या तत्वदर्शी कहते हैं |
What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani