भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं कर्म करो फल की चिंता मत करो लेकिन बिना फल आदमी कर्म क्यों करेगा ?


रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बिना फल की इच्छा के कोई काम नहीं करता | लेकिन अध्यात्म में जब तक हम निष्काम कर्मयोग में नहीं उतरेंगे, कर्मों की निर्जरा नहीं होगी और आध्यात्मिक प्रगति शून्य रहेगी | अध्यात्म में हमें कर्मबंधन से बचना है – वह संभव होता है जब हम कर्म निष्काम भावना से करें |

 

अध्यात्म में फल वैसे भी आत्मा का होता है न कि मनुष्य शरीर का | सोचने वाली बात है जब शरीर आत्मा ने धारण किया है तो मनुष्य की इच्छा के मायने क्या ? पूरे मनुष्य जीवन का अंतिम goal है मोक्ष लेना यानी जन्म और मृत्यु के बंधन से छुटकारा | तो हम कर्मफल से कैसे बंध सकते हैं ?

 

Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani

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