इंसान की कीमत उतनी ही है जितनी उसकी सोच | अगर हमारी विचारधारा एक राजा तुल्य है तो हमें राजा बनने से कोई रोक नहीं सकता | अगर हमारे विचारों में पहले स्वामी विवेकानंद और फिर रामकृष्ण परमहंस बनने का सपना तैर रहा है तो संभव है हम इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस बन कर उभरें | अगर हमारा सपना एक सफल डॉक्टर या इंजिनियर बनने का है तो वह भी सफल होगा |
हमें बस अपने विचारों को क्रियान्वित करना होगा | पहले सोच और फिर उस पर अमल | सिर्फ सोच कर बैठने से कुछ नहीं होगा – अपेक्षित कर्म तो करना ही होगा |
धरती पर कोई भी इंसान बुद्ध या महावीर के लेवल तक आसानी से पहुंच सकता है – अपने आध्यात्मिक विचारों को कर्म में बदल कर | हर इंसान के अंदर वह गुण जन्म से मौजूद है कि वह तत्वज्ञानी बन जन्म और मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त हो सके | हमें तो बस खयालों में पहले एक निश्चित goal स्थापित करना है और फिर उसे कर्मों के द्वारा आंच देनी है | बचा हुआ काम जुनून कर देगा |
5 वर्ष की आयु में भगवान की खोज में निकला | पहले ध्यान में उतरा और ध्यान के तत्व और प्रक्रियाको जाना | फिर 12 वर्ष की तपस्या शुरू की और अंततः 32 वर्ष की साधना फल लाई जब 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार हो गया | पहले खयालों में goal और फिर उसे भलीभांति क्रियान्वित करना – बस यही करने के लिए मनुष्य जन्म हुआ है |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar