सच को समझना अपने आप में इतना जटिल नहीं लेकिन सत्य की राह पर चलना बेहद कठिन है | मनुष्यों को सही राह दिखाने के लिए ब्रह्म ने पहले श्रुति के द्वारा वेदों का ज्ञान प्रेषित किया | वेद बहुत voluminous थे, साधक तो क्या, बड़े बड़े scholars भी उनके मर्म तक पहुंचने में दुविधा महसूस कर रहे थे |
कुछ ऋषियों के समूह ने उपनिषद प्रतिपादित किए यानि वेदों में निहित ज्ञान का विस्तार किया | किसी ने आत्मा के ऊपर पूर्ण विवेचना की तो दूसरे ने ब्रह्म के ऊपर, तीसरे ने मोक्ष के ऊपर | हर उपनिषद मूलतः एक ही विषय पर आधारित है |
ज्ञान फिर भी फैला/ बिखरा हुआ था | तो महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना के द्वारा भगवद गीता का ज्ञान कृष्ण अर्जुन उवाच के रूप में आम साधक को पेश किया | और भारतीय ग्रंथों का मूल समस्त मानवता तक पहुंच ही गया |
महर्षि वेदव्यास और महाभारत महाकाव्य का आध्यात्मिक सच | Vijay Kumar Atma Jnani