कहा जाता है अगर हम बरगद/ पीपल के पेड़ की उत्पत्ति को देख लें तो विभिन्न धर्मों/ मतों की उत्पत्ति का कारण समझ आएगा | जब एक पेड़ उगता है तो पहले एक single तना होता है | धीरे धीरे उसमे शाखाएं उत्पन्न होनी शुरू होती हैं |
धर्म के पेड़ में पहले धर्म आया जिसे हम सनातन धर्म कहते हैं – tree of Dharm | फिर काफी समय बाद पहली शाखा निकली – महावीर आ गए, फिर दूसरी शाखा और बुद्ध आ गए, कुछ समय बाद तीसरी शाखा और Jesus आ गए और इस तरह धर्म का पेड़ चल निकला | अलग अलग तत्वज्ञानियों के आने से विभिन्न मतों की उत्पत्ति हुई – जैन, बौद्ध और ईसाई मत इत्यादि |
इसी श्रृंखला में फिर आदि शंकराचार्य आए – उनका ज्ञान सनातन धर्म से विभिन्न नहीं था | वह तो सनातन धर्म के ही प्रवर्तक थे जैसे आने वाले समय के रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण | सनातन धर्म सभी धर्मों/ मतों का मूल है | जो इस छोटी सी बात को नहीं समझ सकता – शास्त्र कहते हैं ऐसे अज्ञानी को कुछ भी समझाना व्यर्थ है |
समय आने पर अगर सम्पूर्ण पेड़ खत्म हो जाए तो सभी शाखाएं/ मत स्वतः ही नष्ट हो जाएंगे लेकिन धर्म का पेड़ (सनातन धर्म) फिर उठ खड़ा होगा यानी नए सिस्टम/ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय नया धर्म का पेड़ आ जाएगा (प्रलय के बाद) | सभी कुछ ब्रह्म ने रचा है – उसकी करनी वहीं जाने |
What is the true Meaning of Dharma? धर्म का सही अर्थ क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani