धर्म बनाने वाला इंसान लोगों को मारने वाला इंसान फिर धर्म की क्या जरूरत ?


धर्म वह नहीं जो लोग आजकल समझते हैं | आजकल लोग धर्म को ही religion (मत) का ही पर्यायवाची मानने लगे हैं | यह पूर्णतया गलत है | धर्म तो शास्वत है, जब से ब्रह्मांड बना है तब से मौजूद है | धर्म की परिभाषा, स्वयं ब्रह्म द्वारा दी हुई – your right to do what is just and right, and not what was destined – धर्म कहता है हम मनुष्य किसी के गुलाम नहीं, अपने विवेक का इस्तेमाल कर हम अपनी तकदीर खुद बनाने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र हैं |

 

धर्म की रचना तो स्वयं ब्रह्म ने की | यह धर्म ही है जो हमें जन्म से सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है | अगर धर्म नहीं होता तो मनुष्य जानवरों की तरह व्यवहार करता, किसी को भी मार कर खा जाता | आज के समय में जो इंसान एक दूसरे को मार रहे हैं, वे असामाजिक तत्व हैं, मानवता से बहुत दूर और लगभग जानवरों के समकक्ष |

 

धार्मिक पंडित, मौलाना इत्यादि जो आम जनता को धर्म के नाम पर सिर्फ भड़काने का काम करते हैं वे धार्मिक कैसे हो सकते हैं ? Religion का आधार तो समय पुरानी मान्यताएं और रीति रिवाज़ हैं जो जरूरी नहीं आज के समय में खरी साबित हों – उसी तरह जैसे दुश्मन से लड़ने आज हम तीर कमान का इस्तेमाल नहीं करेंगे |

 

धर्म मनुष्यों को और योनियों से उच्च स्थल पर रखता है और अन्दर से सही राह पर चलने की प्रेरणा देता है | धर्म गलत नहीं लेकिन धार्मिक (religious) लोग आवेश में आकर गलत कदम उठाते हैं तो इसमें धर्म की क्या गलती ?

 

What is the true Meaning of Dharma? धर्म का सही अर्थ क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani

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