मनुष्य को अच्छे बुरे कर्म का फल स्वर्ग नरक में भोगने के बाद पृथ्वी लोक पर भी भोगना पड़ता है क्या ?


कर्मफल तो सदा से आत्मा का होता है | धरती पर मृत्यु के बाद मनुष्य का जीवन खत्म – वह एक ही जन्म के लिए था | मृत्यु के बाद हमारी आत्मा नया शरीर कहां (किस देश में) और किसके घर लेगी यह किसी को भी मालूम नहीं |

 

मृत्यु के समय अगर karmic balance negative है और धरती पर दूसरा शरीर धारण करने के लिए अगर मैचिंग पैरेंट्स उपलब्ध नहीं हैं, उसी अवस्था में आत्मा नरक में ठहरती है, अन्यथा नहीं | आत्मा के नरक के प्रवास के दौरान कर्मफल भोगने जैसी कोई क्रिया नरक में नहीं होती | आत्मा तो शुरू से दृष्टा की भांति काम करती है |

 

आत्मा का खुद का temperature 1 करोड़ degrees Celsius से ज्यादा होता है | कर्म सिर्फ शरीर करता है | अगर आत्मा में कर्म करने की क्षमता होती तो आत्मा धरती पर शरीर धारण ही क्यों करती ? आत्मा को कर्म करने के लिए नरक से धरती पर आना ही होता है लेकिन यह तब संभव हो पाता है जब धरती पर matching parents उपलब्ध हो जाएं, पहले नहीं |

 

एक आध्यात्मिक साधक को चिंतन के माध्यम से इतना तो जान ही लेना चाहिए कि स्वर्ग और नरक में ठहरने की स्थिति एक सराय की तरह होती है – temporary | मनुष्य रूप में आत्मा धरती पर एक के बाद एक शरीर धारण करती रहती है | जब मैचिंग पैरेंट्स न मिलें, तभी आत्मा स्वर्ग/ नरक जाती है सीतनिद्रा, शीतनिष्क्रियता (hibernation) की स्थिति में ठहरने के लिए |

 

जब तक कर्म बाकी हैं, आत्मा शरीर धारण करती रहती है | जिस दिन आत्मा शुद्ध अवस्था में आ जाती है (मनुष्य के तत्वज्ञानी होने पर), और कर्मों की पूर्ण निर्जरा होने पर – तो आत्मा का मनुष्य शरीर धारण करने में कोई प्रयोजन नहीं रह जाता | आत्मा को मुक्ति अंततः धरती पर ही मिलती है, अन्यत्र नहीं |

 

काफी समय पहले नरक में दंड भोगने की कहानी धार्मिक पंडितों द्वारा इसलिए फैलाई गई कि धरती पर लोग गलत (नेगेटिव/ पाप) कर्म में लिप्त होने से बचें | अगर हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस मसले पर चिंतन करेंगे तो गूढ़ तत्व समझ में आएगा |

 

What is Swarg Narak | स्वर्ग नरक कहां हैं | Vijay Kumar Atma Jnani

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