स्वामी विवेकानंद सिर्फ अखंड ब्रह्मचारी ही नहीं थे वह बाल ब्रह्मचारी भी थे | जब तक जीवित रहे पूरी शिद्दत के साथ ब्रह्मचर्य physical व मानसिक, दोनों का पालन करते रहे | किसी भी विघ्न को आड़े नहीं आने दिया | वह बाल्यावस्था में ही जान गए थे कि कुण्डलिनी जागरण किए बिना आध्यात्मिक प्रगति संभव नहीं और पूर्ण कुण्डलिनी जागरण तभी संभव है जब ब्रह्मचर्य के द्वारा मूलाधार में एकत्रित अमृत को कुण्डलिनी की ओर ऊर्ध्व करेंगे |
अगर किसी साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना है तो स्वामी विवेकानंद की जीवन शैली को अपनाना चाहिए | physical ब्रह्मचर्य करने में तो काफी साधक सफल हो जाएंगे लेकिन मानसिक ब्रह्मचर्य का क्या ? हमारे अंदर एक भी negative विचार न आए – बस यही मानसिक ब्रह्मचर्य है | अगर किसी भी साधक के अंदर 12 वर्षों तक एक भी negative विचार उत्पन्न न हो तो वह साधक तुरंत रामकृष्ण परमहंस बन जाएगा और निर्विकल्प समाधि में हमेशा के लिए स्थापित हो जाएगा |
ब्रह्मचर्य क्या होता है और इसका सही पालन कैसे करते हैं – कितने लोगों को इसका सही तरीका मालूम होगा – दुनिया में स्थित 800 करोड़ लोगों में ? शायद 2 या 3 ! अगर कोई भी साधक ब्रह्मचर्य की तपस्या 12 वर्ष तक लगातार, एक भी गलती किए बिना करले तो वह उसी समय पहले स्वामी विवेकानंद और फिर रामकृष्ण परमहंस बन ही जाएगा | रामकृष्ण परमहंस को गए 138 वर्ष हो गए और स्वामी विवेकानंद को 122 वर्ष लेकिन दूसरा रामकृष्ण परमहंस या स्वामी विवेकानंद कहां है ?
यह बात सिद्ध करती है कि धरती पर इस समय किसी को भी सही से ब्रह्मचर्य का पालन करना नहीं आता | तो ब्रह्मचर्य को कोई छोटी बात/ क्रिया न समझें | हर सच्चे साधक को ब्रह्मचर्य के बारे में पूरा जानकर अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए | तभी वह सही आध्यात्मिक प्रगति कर सकेगा |
12 years Brahmacharya benefits | 12 साल का अखंड ब्रह्मचर्य का जादू | ब्रह्मचर्य मंत्र | Vijay Kumar