एकांतवास और ध्यान के लिए कौन सा आश्रम अच्छा है ?

आम मान्यता है – सही ध्यान के लिए एकांत जरूरी है | तभी तो हजारों वर्ष पहले ऋषि मुनि हिमालय की कंदराओं में जाकर समाधि अवस्था में लीन हो जाते थे | उस समय वह जरूरी था क्योंकि joint परिवार हुआ करते थे | ऐसे वातावरण में जहां जिम्मेदारियों का बोझ भी अकथित हो – योग करने की सोचना लगभग […]


आत्मा को कैसे देखा जा सकता है ?

आत्मा को देखना चाहते हो – क्या सूर्य के गर्भ में जा सकते हो जहां temperature करोड़ों degrees centigrade है ? धरती पर व्याप्त सभी जीवों की आत्माएं सूर्य के गर्भ में स्थित है और वहीं से remote control से जीव का संचालन करती हैं | हर आत्मा का खुद का normal temperature करोड़ों degrees centigrade है |   अगर […]


क्या जीव आत्मा और जीवात्मा एक ही हैं ?

ब्रह्माण्ड में आत्माएं हमेशा से स्थित हैं | जब एक आत्मा धरती पर शरीर धारण करती हैं – मनुष्य या किसी निचली योनि में तो उस उस नव निर्मित शरीर को जीव कहते हैं | में विजय कुमार भी एक जीव और गली में रह रहा कुत्ता भी एक जीव | हम दोनों के अंदर आत्मा विद्यमान है |   […]


अध्यात्म से हमें क्या मिलता है ?

हम मूलतः एक दिव्य शक्ति हैं – एक आकाशीय तत्व जिसे सनातन शास्त्र आत्मा के नाम से पुकारता है | जब से हम परम तत्व यानी ब्रह्म से अलग हुए, अशुद्धियां हमसे जुड़ती, लिपटती चली गईं | बस इन्हीं अशुद्धियां को दूर करने के लिए ब्रह्म ने 84 लाख योनियों का सफर रचा | हमने 73 लाख योनियां पार करने […]


परम तत्व क्या है ?

तत्वज्ञानी उसे कहते हैं जो आध्यात्मिक सफर के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है जैसे महर्षि रमण, रामकृष्ण परमहंस व आदि शंकराचार्य इत्यादि | जिसने तत्व को जान लिया, जिसने जीवन के सत्य को पहचान लिया कि वह एक शरीर नहीं बल्कि एक अविनाशी आत्मा है – वह तत्वज्ञानी आखिरकार उस परम तत्व को जान भी लेता है और उसका […]


असली आध्यात्मिक गुरु की क्या पहचान है ?

अध्यात्म के क्षेत्र में वही गुरु कुछ दे सकता है जिसने ब्रह्म का साक्षात्कार किया हो – जो आध्यात्मिक सफर के आखिरी छोर पर पहुंच गया हो | अधपके ज्ञान को लेकर आप क्या करेंगे | अगर आपने कोई प्रश्न पूछा – और उस so-called गुरु ने किताबी ज्ञान दे भी दिया तो क्या फायदा होगा ? फिर आध्यात्मिक प्रगति […]


आध्यात्मिक साहित्य पढ़ने से क्या व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है ?

जैसा हम विचारेंगे – हम वैसे ही हो जाएंगे | अच्छा साहित्य पढ़ने के बाद इंसान जिन विचारों में संलिप्त रहता है – वैसा ही हो जाता है | अगर आध्यात्मिक साहित्य हमें अच्छे विचार अधिग्रहण करने पर विवश करते हैं तो हमारा व्यक्तित्व उसी अनुसार ढल जायेगा | लेकिन अच्छा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के बावजूद अगर हम गलत […]


अंत मति सो गति – अंत मति कैसी होनी चाहिए ?

सनातन शास्त्रानुसार कहा जाता है – जैसा मन वैसा फल | कहने का तात्पर्य है – जैसे हम विचारते है वैसी ही गति हमें प्राप्त होती है | अगर हम सुविचारेंगे तो पुण्य कार्य में लिप्त होंगे और फल भी मीठा ही होगा | कुविचार हमें पाप कर्म की ओर ढकेलते हैं और फल भी negative होगा |   जीवन […]


सांसारिक बंधनों की वजह से अध्यात्म में प्रगति नहीं कर पा रहा हूँ ?

अध्यात्म ही तो वह एकमात्र क्षेत्र है जहां किसी का बंधन नहीं – न माता पिता और बुजुर्गों का, भाई बहनों का और न ही रिश्तेदारों और समाज का | सिद्धार्थ गौतम को लगा कि राजसी परिवार बंधन है तो झट छोड़ चल दिए – पत्नी और बच्चे की इजाज़त लेना भी जरूरी नहीं समझा | ब्रह्म ने system ही […]


स्वयं को जानने के लिए इन्सान को क्या करना चहिए ?

स्वयं को जानने की चेष्टा व्यर्थ – निरर्थक है – क्यों ?   1.. अगर आप भौतिक जिंदगी जीते हैं यानि अध्यात्म से कुछ लेना देना नहीं तो भी स्वयं का विश्लेषण किसलिए ? आप जो हैं सो हैं | अगर आप service करते हैं और बॉस आपकी कुछ कमियों की तरफ इशारा करता है तो उन्हें पहचान कर दूर […]


क्या भगवान को प्राप्त करना संभव है ?

ब्रह्म से साक्षात्कार, कैवल्यज्ञानी बनना, निर्विकल्प समाधि की स्थिति में पहुंचना आसान तो नहीं लेकिन असंभव भी नहीं | ब्रह्म प्राप्ति के लिए ब्रह्म ने 84 लाख योनियों का लंबा सफर निर्धारित किया है जिसमें आखिरी 11 लाख योनियां तो सिर्फ मनुष्य रूप में हैं | 11 लाख में हम जिस योनि में भी स्थित हैं, यह संभव है हम […]


आत्मा को पूर्ण शुद्धि प्राप्त करने (सतोप्रधान बनने) में कितना समय लगता है ?

आत्मा की पूर्ण शुद्धि के लिए ब्रह्म ने मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों का सफर तय किया है और पूर्ण रूपेण 84 लाख योनियों का | शास्त्रानुसार 11 लाख योनियों का सफर पूरा करने के लिए लगभग 1 करोड़ वर्ष की अवधि चाहिए | अगर मनुष्य कोई आध्यात्मिक प्रगति न करे तो वह योनि दर योनि सफर करता हुआ […]


माया जाल से हम क्या समझते हैं ?

आदि शंकराचार्य की माया की doctrine क्या कहती है कि पूरा जगत माया है, actual में exist ही नहीं करता | अगर करता भी है तो ब्रह्म के विचारों में | जैसे हम सपना देखते हैं और जागते ही सब कुछ विलीन हो जाता है उसी प्रकार पूरा जगत मात्र ब्रह्म के सपनों में exist करता है अन्यथा नहीं | […]


क्या वेदांत ईश्वर तक जाने का एक रास्ता है ?

वेदांत मुख्यतः 11 principal उपनिषदों के लिए इस्तेमाल होता है | वेद हों या वेदांत – सबके मूल में एक ही बात का निवास है – मनुष्य आध्यात्मिक सफर पूरा कर मोक्ष की स्थिति तक पहुंचे कैसे ? वेदों का सार, निचोड़ ही वेदांत कहलाता है | समझने वाली बात यह है – क्या वेदांत को पढ़कर ब्रह्म तक पहुंचा […]


क्या अमीबा में आत्मा है – अगर अमीबा के टुकड़े हो जाएं तो क्या हर टुकड़े में आत्मा है ?

धरती पर आत्माओं ने जब पहला शरीर धारण किया – वह क्या था ? अमीबा का – और क्या ! यह बात मुझे ब्रह्म ने 1993 में साक्षात्कार के बाद बताई | 1997 में भारत में internet आया और मैंने अपनी websites पर यह लिख दिया | काफी वर्षों बाद मुझे Delhi University से Prof. Sinha का फोन आया | […]


हमेशा जवान रहने के लिए क्या करना चाहिए ?

हमेशा जवान बने रहने के लिए दो बातें सुनिश्चित करना जरूरी है –   1.. सत्य की राह पर चलना | क्या आपने कभी विश्लेषण किया है – विदेशी गोरी चमड़ी वालों के चेहरे दमकते क्यों रहते हैं ? कारण सिर्फ और सिर्फ एक ही है – सत्य का साथ न छोड़ना | चेहरे पर, मन में और बोलचाल में […]


अध्यात्म की शुरुआत कैसे करें ?

अध्यात्म की शुरुआत की नहीं जाती, यह हमेशा स्वतः होती है | जब इंसान सत्यमर्ग पर चलने लगे, जब हम चिंतन करना सीख जाएं, जब हमारा सभी जीवों पर प्यार उमड़े, जब हमारे अंदर विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक प्रश्न हिलोरे मारने लगें, जब हमें लगने लगे हम हम नहीं, इससे भी आगे कुछ और है – तो समझिए अध्यात्म की […]


लोगों के दावे कि 2030 तक सतयुग आ जाएगा में कितनी सच्चाई है ?

2030 तक तो नहीं लेकिन 2032 तक अवश्य | सिर्फ सतयुग ही नहीं भारत अखंड भारत में परिवर्तित हो 200 करोड़ से बड़ी सनातन सभ्यता बन जाएगा | 2034 तक सम्भव है 1 रुपए की कीमत 1 US $ हो जाए | सोने की चिड़िया वापस अपना खोया स्वरूप लेने जा रही है – मजाल किसी की यानि Deep State […]


ज्ञान और विद्या में अन्तर और समानता बताएं |

विद्या को मूलतः हम किताबी ज्ञान के रूप में देखते समझते हैं | जीविकोपार्जन के लिए विद्या का होना आवश्यक है | आप किसे भी क्षेत्र में विद्या हांसिल कर या तो खुद का business कर सकते हैं अथवा नौकरी | जीविकोपार्जन के लिए ज्ञान का होना आवश्यक नहीं | एक अनपढ़ गंवार इंसान भी रोटी रोजी का इंतजाम कर […]


धरती पर इंसान के पास अपना क्या है ?

एक चीज जो इंसान की अपनी निजी है – जिसे कोई भी हमसे छीन नहीं सकता – चाहे वह अपने माता पिता भाई बहन ही क्यों न हों – वह है हमारी अपनी सोच | यह सोच ही है जो इंसान को JRD Tata (एक perfect कर्मयोगी) या राजा जनक (ब्रह्म साक्षात्कार किए केवल्यज्ञानी) के level तक भी ले जा […]


धरती पर जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी क्या है ?

सही जीवन जीने के लिए जीवन में सबसे जरूरी होता है संतुलन | संतुलन नहीं तो राजा भी परेशान और प्रजा को भी परेशान रखेगा |   1… जीवन संतुलित न हो तो छप्पन भोग खाकर भी आप बीमार पड़ सकते हैं | मैंने खुद आंखों से देखा है कि एक गाय जो कई दिन की भूखी थी – जब […]


मनुष्य जीवन का असली खजाना क्या है ?

मनुष्यों के जीवन का असली खज़ाना होता है हमारे अंदर व्याप्त विवेक की क्षमता | विवेक न हो तो इंसान और पशु में कोई फर्क नही | सिद्धार्थ गौतम बुद्ध बने सिर्फ और सिर्फ विवेक के कारण | यह विवेक ही तो है जो हम सच को झूठ से अलग कर पाते हैं | अध्यात्म में उतर महावीर या महर्षि […]


ब्रह्म को पूर्ण कहा गया है – क्या मनुष्य पूर्ण नहीं हो सकता ?

पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते |   उपरोक्त श्लोक के अनुसार अगर पूर्ण में से पूर्ण निकाल दें तो भी पूर्ण ही शेष रहता है | यह यथार्थ सिर्फ ब्रह्म पर applicable है अन्य कहीं नहीं | अध्यात्म में सिर्फ और सिर्फ ब्रह्म को पूर्णता की दृष्टि से देखा जाता है | मानव जीवन तो कर्मों से बंधा है […]


मेरी नए कार्य में ज्यादा रुचि रहती है हर काम अधूरा छोड़ देता हूँ – इस आदत को कैसे सुधारूं ?

मनुष्य जीवन का मूल सिद्धांत है – पहले लक्ष्य निर्धारित करो फिर तीर से मछली की आंख के मध्य में निशाना साधों | बिना लक्ष्य मानव जीवन का क्या मोल ? बात रुचि की नहीं – लक्ष्य तक पहुंचने की है | जब हम जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तो अपनी समस्त ऊर्जा उस goal को हासिल करने […]


सही ज्ञान से क्या तात्पर्य है ?

हम ज्ञान को मूलतः दो भागों में बांट सकते हैं –   1.. किताबी ज्ञान जो हम पुस्तकों के माध्यम से अर्जित करते हैं – स्कूल, कॉलेज, university इत्यादि से | इस भौतिक विषयक ज्ञान की हमें जरूरत पड़ती है आजीविका के लिए यानि रोटी रोज़ी का साधन |   2.. जीवन की व्यस्तता से हटकर जब हम भगवान इत्यादि […]


सत्संग से हम क्या समझते हैं ?

भगवान की खोज में जब हम अध्यात्म में उतरते हैं तो किताबी ज्ञान से काम नहीं चलता | चिंतन करने के बावजूद कई प्रश्नों के उत्तर जब अथक प्रयासों के बाद भी नहीं मिलते तो बस सत्संग का ही सहारा रह जाता है |   सत्संग यानि ऐसे साधकों का समूह जो भगवान को खोजने की चेष्टा में लीन हैं […]


हमारी तकदीर पहले लिखी जा चुकी है या हम तकदीर खुद लिखते हैं ?

इंसान का जीवन क्रम एक accountant द्वारा लिखे बहिखाते की तरह चलता है | अगर आज का closing balance Rs. 981/= तो अगले दिन का opening balance भी Rs. 981/= ही रहेगा | इसमें ब्रह्म (business में लालाजी) भी दखलंदाजी नहीं करते या कर सकते | इसी प्रकार मानव जीवन में पिछले जन्म का closing balance तय करता है हम […]


मनुष्य जीवन का असली सच किसे पता है ?

जीवन का सच इंसान को सिर्फ और सिर्फ ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद मालूम चल सकता है – पहले नहीं | ब्रह्म साक्षात्कार के बाद ही ज्ञात होता है कि हम एक आत्मा हैं और 84 लाख योनियां पार कर आखिरी योनि में पहुंच चुके हैं | आगे प्राप्त होने योग्य कुछ नहीं बचा ! मुक्त हुई आत्मा अंततः हमेशा […]


मानव जीवन में धर्म की सार्थकता क्या है ?

धर्म की सार्थकता को judge करने का अधिकार मनुष्य के पास है ही नहीं | क्यों ? धर्म वह नहीं जो मनुष्यों ने बना दिया है या मनुष्य जाति समझने लगी है | आजकल लोग धर्म को religion से जोड़ कर देखते हैं जो सर्वथा गलत है | धर्म का religion, मत, मजहब, पंथ इत्यादि से कोई connection नहीं | […]


आज का दिन अच्छा जाएगा या बुरा – कौन तय करता है ?

एक कर्मकांडी जो पहले से ही नकारात्मक विचारों में डूबा है – उसके साथ बुरा न हो जाए आदि विचारों से हर पल घबराया सा रहता है | आम इंसान इसी category में आता है | इसके विपरित सकारात्मक सोच रखने वाला इंसान – परिस्थिति कैसी भी हो घबराता नहीं | क्यों ? क्योंकि उसे खुद से ज्यादा भगवान पर […]