जिंदगी जीने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है ?


ज़िन्दगी जीने के लिए (पास करने के लिए नहीं) २ बाते जरूरी हैं –

 

१. हमारा जीवन का लक्ष्य कच्ची उम्र से ही fixed होना चाहिए | ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि छोटी उम्र में goal कैसे स्थापित करें | वह तो मां बाप करेंगे और करते भी हैं | छोटे बच्चे को क्या मालूम कि बड़े होकर क्या करना है ? बात तो सही है लेकिन अगर बच्चा कोशिश करे तो संभव भी है |

 

औरों का नहीं मालूम, लेकिन मैंने अपने जीवन का गोल ५ वर्ष की आयु में fix कर दिया था | शायद पिछला जन्म कारण रहा हो | शायद क्यों, पिछले जन्म के कारण ही ! मुझे अपने पिछले ३ जन्म बिल्कुल साफ मालूम हैं |

 

लगभग ८ १/२ वर्ष की आयु में जब ब्रह्म ने पूछा, मेरे पीछे आएगा, जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकलना चाहता है, हमेशा के लिए तो मुंह से निकला, हां | और मेरा आध्यात्मिक सफर शुरू हो गया |

 

मुझे एक बात का गहरा अहसास था, जो चीज ११ लाख मनुष्य योनियों के बाद मिलती है, अगर वो एक ही जन्म में लेनी है तो फालतू की बातों के लिए वक़्त कहां | मुझे अर्जुन का मछली की आंख को भेदने का किस्सा याद आया | मैंने अपनी सारी शक्ति अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य के पीछे लगा दी | मुझे हर बात में मछली की आंख का centre point ही नजर आने लगा |

 

२. हमे यह ध्यान रखना होगा कि हम एक आत्मा हैं, सब चीजों से totally independent. हमे मां बाप ने पैदा तो किया है लेकिन हम किसी के गुलाम नहीं, भगवान के भी नहीं | इस कारण जीवन का लक्ष्य, goal of life हमें खुद चुनना है | इस दुनिया में हमारे सिवा कोई नहीं जानता हम क्या बनना चाहते हैं या किस field में सबसे ज्यादा successful होंगे |

 

जैसे जैसे उम्र बढ़ने लगे (छोटी उम्र में ही) हमें अपने माता पिता को कह देना चाहिए कि हम क्या बनना या करना चाहते हैं | माता पिता को झटका तो लगेगा लेकिन ज़िद न छोड़े | अपने goal को पाने के लिए मैंने ६ १/२ वर्ष की आयु में मां को कह दिया था, कि मां अगर जरूरी हुआ तो मैं भगवान के पीछे हमेशा के लिए घर छोड़ कर चला जाऊंगा (१००% सीरियस) |

 

मां ने नौबत नहीं आने दी (मेरी प्यारी मां) !

 

गुरुकुल परंपरा की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि बच्चा जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा कामयाब होगा, उस क्षेत्र में ही उसका अध्ययन, पालन पोषण होगा | यह जिम्मेदारी गुरुकुल के आचार्य की होती थी न कि माता पिता की | भारत में गुरुकुल प्रथा दोबारा से २०३४ तक full force चालू हो जाएगी | British system of education हमेशा के लिए बंद |

 

जीवन में कामयाब होना है तो बागडोर बचपन से ही खुद के हाथ में होनी चाहिए (माता पिता के भी नहीं) |

 

What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar

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