भारतीय संदर्भ में संस्कार ऐसा शब्द है जिसका दुनिया में किसी और संस्कृति में समानांतर शब्द नहीं मिलता | यह संस्कार ही तो हैं जो भारतीय सभ्यता अभी तक विश्व की सर्वश्रेष्ठ सभ्यता है जिसे Deep State / US ने नेस्तनाबूद करने की कोशिश की और असफल हुए | भारत को नीचा दिखाने में पहले ब्रिटिश साम्राज्य और फिर US ने कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन भारतीय संस्कारों के कारण हर चाल फेल हो गई | आज social media के कारण Deep State पूरी तरह से expose हो गया |
संस्कार सिर्फ माता पिता से नहीं अपितु राष्ट्रीय संपदा की धरोहर होते हैं | भारतीय संस्कृति की असली धरोहर हमारे अग्रण्य श्रुति शास्त्र हैं जिन्हें वेद, उपनिषद और भगवद गीता के नाम से जाना जाता है | वेद चार भागों में बंटे हैं – ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद | उपनिषदों में 11 principal उपनिषद आते हैं – जिसमें गीताप्रेस में ईशादि नौ उपनिषद् (9 उपनिषदों की टीका) उपलब्ध है | बचे बृहदारण्यक उपनिषद् और छांदोग्य उपनिषद् | भगवद गीता एक अप्रतिम आध्यात्मिक कृति है जिसका कोई विकल्प पूरी दुनिया में नहीं है न कभी होगा |
इन्हीं अप्रतिम श्रुति शास्त्रों के कारण संस्कार भारतीयों में जन्मजात हैं | अगर हमारे माता पिता आध्यात्मिक रुचि रखते हैं तो संस्कार हमारे अंदर स्वतः ही आ जाते हैं | आज के समय में आप देखेंगे अगर माता पिता आध्यात्मिक रुचि नहीं रखते और पाश्चात्य जगत से ज्यादा जुड़े हैं तो कम संस्कारिक प्रवत्ति लिए होंगे | आज अगर हम अपने बच्चों में संस्कार देखने चाहते हैं तो पहली हमें खुद संस्कारी होना होगा | खुद को भारतीय विरासत से अवगत कराना होगा तभी आने वाली संतानें संस्कारी होंगी |
आज आप देखतें हैं बच्चे जिनके लिए माता पिता ने जिंदगी भर मेहनत कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया, अगर संस्कारी न हों तो एक ही झटके में माता पिता की संपत्ति बेच, उन्हें airport lounge में छोड़ हमेशा के लिए विदेश उड़नछू हो जाते हैं | सच में संस्कार एक दिन में पैदा नहीं होते – उनके लिए जीवन भर मेहनत करनी होती है | बच्चों में संस्कार दादा दादी, नाना नानी और पूरे परिवार से आते हैं | अगर हमारी सोच सकारात्मक है तो हमें अच्छा इंसान बनने से कोई नहीं रोक सकता |
परिवार, गुरुओं और शिक्षा के अलावा आध्यात्मिक शास्त्रों का भी संस्कारों में विशेष योगदान होता है | आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विश्व में विशेष दर्जा हासिल है तो उसका कारण है – विश्व में फैले भारतीयों के निहित संस्कार |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar